नेशनल बैंक ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट {NABARD}

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नाबार्ड: भारत के ग्रामीण विकास का उत्प्रेरक

नाबार्ड क्या है?

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) भारत का एक प्रमुख विकास बैंक है, जिसकी स्थापना 12 जुलाई, 1982 को हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य कृषि, लघु उद्योगों, कुटीर और ग्राम उद्योगों, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्पों के विकास के लिए ऋण प्रवाह को सुगम बनाना है। नाबार्ड का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में सभी अन्य सहयोगी आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करना, एकीकृत और सतत ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना और ग्रामीण भारत में समृद्धि सुनिश्चित करना है।

नाबार्ड के उद्देश्य

  • कृषि, लघु उद्योगों, कुटीर और ग्राम उद्योगों, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्पों के विकास और बढ़ावा के लिए पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना।
  • ग्रामीण विकास में शामिल विभिन्न संस्थानों का समर्थन और पोषण करके उनकी दक्षता बढ़ाना।
  • ग्रामीण विकास से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों की योजना, निगरानी और कार्यान्वयन में सहायता करना।

नाबार्ड के कार्य

  1. पुनर्वित्तीय सहायता:

    • ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण देने वाली संस्थाओं को कृषि और ग्रामीण विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराने के लिए पुनर्वित्त प्रदान करना।
    • मौसमी कृषि कार्यों और ग्रामीण विकास गतिविधियों के लिए अल्पकालिक पुनर्वित्त की पेशकश करना।
    • कृषि, ग्रामीण उद्योगों और बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए दीर्घकालिक ऋण प्रदान करना।
  2. विकास कार्य:

    • ग्रामीण वित्तीय संस्थानों और अन्य हितधारकों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करना।
    • कृषि और ग्रामीण विकास में अनुसंधान और विकास गतिविधियों का समर्थन करना।
    • ग्रामीण विकास में नवीन और सतत प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  3. पर्यवेक्षी कार्य:

    • नीतियों और कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ग्राहक संस्थानों के प्रदर्शन की निगरानी और मूल्यांकन करना।
    • सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का नियमन और निरीक्षण करना ताकि उनकी स्वस्थ वित्तीय स्थिति सुनिश्चित हो सके।

नाबार्ड की प्रमुख योजनाएँ और पहल

  • ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास कोष (RIDF): ग्रामीण आधारभूत संरचना परियोजनाओं के निर्माण के लिए कम लागत वाली वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • नाबार्ड आधारभूत संरचना विकास सहायता (NIDA): ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • वाटरशेड विकास कोष (WDF): सतत वाटरशेड विकास प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • सूक्ष्म वित्त नवाचार: स्वयं सहायता समूह (SHG) बैंक लिंकेज कार्यक्रम, सूक्ष्म उद्यम विकास।
  • जनजातीय विकास कोष (TDF): आदिवासी समुदायों के समग्र विकास का समर्थन करना।

नाबार्ड का ग्रामीण विकास पर प्रभाव

  • ऋण प्रवाह को सुगम बनाकर कृषि उत्पादकता और ग्रामीण औद्योगीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे आर्थिक विकास हुआ है।
  • ग्रामीण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण ने कनेक्टिविटी, बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार किया है।
  • स्वयं सहायता समूह-बैंक लिंकेज कार्यक्रम जैसी पहलों ने महिलाओं और हाशिए के समुदायों को सशक्त बनाया है, जिससे सामाजिक समावेश और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला है।
  • कृषि और जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन में सतत प्रथाओं पर जोर देने से पर्यावरण संरक्षण और दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा मिला है।

निष्कर्ष

नाबार्ड कृषि और ग्रामीण विकास के लिए अपने व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से ग्रामीण भारत को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। वित्तीय सहायता, क्षमता निर्माण और नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करके, नाबार्ड ग्रामीण समृद्धि बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहता है। नाबार्ड के कार्यों, योजनाओं और प्रभाव को समझना भारत के विकास यात्रा में उसके योगदान की सराहना करने के लिए महत्वपूर्ण है।

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